हैप्पीनेस पाठ्यक्रम बनाने वाली टीम में गोरखपुर के श्रवण भी
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी मिलेनिया ट्रंप 25 फरवरी को दिल्ली के सरकारी स्कूलों में चल रही हैप्पीनेस क्लास का जायजा लेने वाली हैं। अचानक दुनिया भर में चर्चा में आ गईं इन क्लासेस की सफलता में गोरखपुर का भी योगदान है। शहर के झरना टोला निवासी श्रवण शुक्ल ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है। वह पिपराइच के चिलबिलवा के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बतौर शिक्षक तैनात थे। 2016 में प्रतिनियुक्ति पर गए श्रवण इस समय ‘सेल फॉर ह्यूमन वैल्यू एंड ट्रांसफार्मेटिव लर्निंग (सीएचवीटएल), एससीईआरटी दिल्ली के सदस्य हैं।
‘हिन्दुस्तान से फोन पर बातचीत में श्रवण शुक्ल ने बताया कि मिलेनिया ट्रंप करीब एक घंटे का समय दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चों के साथ बिताएंगी। वह देखेंगी कि दिल्ली सरकार के हैप्पीनेस पाठ्यक्रम में ऐसा क्या है कि जिससे बच्चों का तनाव और अवसाद कम होता है। श्रवण शुक्ल ने बताया कि दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की पहल पर दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लागू हैप्पीनेस पाठ्यक्रम के तहत नर्सरी से आठवीं तक के बच्चों की रोज पहली कक्षा यानी 40 मिनट हैप्पीनेस के लिए होता है।
बच्चों को पहले सहज किया जाता है। उन्हें ज्ञानवर्धक, मानव से मानव और मानव-प्रकृति के बीच के सम्बन्धों और निर्वाह किये जाने वाले मूल्यों पर आधारित कहानियां दिलचस्प अंदाज में सुनाई जाती हैं। इसके बाद इन पर चर्चा होती है। गतिविधियां कराई जाती हैं। इसमें बच्चे को परीक्षा नहीं देनी होती है बल्कि बच्चे स्वमूल्यांकन करते हैं। सप्ताह के आखिरी दिन विद्यार्थियों को अपने भाव व्यक्त करने का अवसर दिया जाता है।
पढ़ाई पर ध्यान बढ़ा
बच्चे अपने जीवन में आ रहे सकारात्मक बदलावों को भी साझा करते हैं। श्रवण के मुताबिक यह पाठ्यक्रम लागू होने के बाद बच्चे पढ़ाई में पहले से ज्यादा ध्यान लगा रहे हैं। माता-पिता और अध्यापकों की पहले से ज्यादा इज्जत कर रहे हैं। साथ ही तनावमुक्त होकर पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं। दो जुलाई 2018 को बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने पाठ्यक्रम लांच किया था।
यह है पाठ्यक्रम का प्रयास
हैप्पीनेस पाठ्यक्रम अस्तित्वमूलक मानव केन्द्रित चिंतन (मध्यस्थ दर्शन) पर आधारित है। इस दर्शन के प्रणेता ए. नागराज के अनुसार जब कोई व्यक्ति स्वयं में और बाहरी संसार के साथ समन्वय स्थापित कर लेता है तो वह संघर्षविहीन होता है। सामंजस्य से जीता है। हैप्पीनेस पाठ्यक्रम के तहत ऐसी ही स्थिति को सतत तथा स्थायी बनाए रखने की कोशिश की जाती है।